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Showing posts from 2020

नव वर्ष 2021 का राशिफल

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इस वर्ष विक्रमी संवत सर  2077  मार्गशीर्ष  मास कृष्ण पक्ष द्वितीय तिथि को नव वर्ष 2021 का शुभ आरंभ होने जा रहा है हम श्रीहरि  नारायण भगवान जी से प्रार्थना करते हैं  कि यह आने वाला वर्ष आप सभी के लिए सुख समृद्धि से भरपूर हो हमारी तरफ से आप सभी पाठकों को नव वर्ष की  मंगल कामनाएं जय श्रीहरि महीने की 1 तारीख यानी कि 1 जनवरी 2021  को ग्रहों की स्थिति में सबसे अच्‍छी बात है वो है चंद्रमा और मंगल का स्‍वग्रही होना। चूंकि सूर्य की एक निश्‍चित चाल है इसलिए वो धनु राशि में ही पाए जाते हैं। बुध भी धनु राशि में हैं, एक सकारात्‍मक स्थिति है। गुरु और शनि का संयोग मकर राशि में अच्‍छा नहीं माना जाएगा लेकिन त्‍वरित लाभ देने वाले जो ग्रह हैं मंगल, चंद्रमा, सूर्य और बुध की पोजिशन मेष-उतार-चढ़ाव चलेगा लेकिन संप्रभुता वाले व्‍यक्ति रहेंगे आप। कुछ कर गुजरने की शक्ति, साहस पूरे वर्ष रहेगा। इसका अनुकूल आपको रिजल्‍ट मिलेगा। व्‍यवसायिक लाभ, जीवनसाथी के स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें, प्रेम की स्थिति नरम-गरम, स्‍वास्‍थ्‍य ठीक-ठाक दिखाई पड़ रहा है। यह वर्ष अ

800 वर्षों बाद गुरुशनि की युति ला रही है विश्व में मंदी के संकेत

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800 वर्ष बाद होगी शनि-गुरु की भेद युति, ऐसा प्रभाव शनि और गुरु की युति लगभग 20 वर्ष के बाद ही होती है तो इनके बिंबो का अति निकट आना एक विलक्षण घटना है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की बृहत् संहिता के अनुसार भेद युति के कारण बड़े मौसमी परिवर्तन होते हैं तथा बड़े घरानों और दलों में फूट पड़ती है। शनि-गुरु की इस भेद युति के कारण अगले एक वर्ष में में बड़े औद्योगिक घरानों और बड़े राजनीतिक दलों में फूट पड़ सकती है। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े और जनवरी में सर्दी पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ेगी। मकर राशि में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति इस राशि से प्रभावित क्षेत्र जैसे उत्तर-पश्चिमी भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में सर्दी के कोप से आम-जनता को बेहद कष्ट देने वाली होगी। इसके साथ-साथ इन देशों में राजनीतिक उठा-पटक और जनांदोलनों की संभावना भी अगले एक वर्ष तक रहेगी। मिथुन राशि से प्रभावित अमेरिका के अष्टम भाव में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति वहां की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख देगी जिससे यूरोप के देश भी मंदी की चपेट में आएंगे। वैश्विक मंदी का प्रभाव अगले पांच महीनों तक भारत पर भी गंभीर र

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त

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  ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी   ने बताया कि  दीपावली पूजन  का शुभ मुहूर्त  इस वर्ष दीपावली पूजन विक्रमी संवत सर 2077 शाक्य 1942 तिथि चतुर्दशी दिन शनिवार स्वाति नक्षत्र आयुष्मान एवं सौभाग्य योग 14 नवंबर 2020 दिन शनिवार को मनाई जाएगी  शास्त्रानुसार 14 नवंबर को  नरक चतुर्दशी एवं दीपावली दोनों एक ही दिन मनाए जाएंगे शनिवार के दिन दोपहर 2:18 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी उसके उपरांत अमावस्या तिथि आरंभ हो जाएगी इसलिए इस दिन दीपावली 1पूजन प्रदोष काल में करना शास्त्र अनुसार उचित माना गया है    ध्यान देने योग्य बात जिन परिवारों में पितरों के निमित्त दीपावली वाले दिन या दीपावली की अमावस्या को पितरों के निमित्त पूजा की जाती है या मिट्टी निकाली जाती है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है उनका यह कर्म 15 नवंबर 2020 दिन रविवार को किया जाएगा  प्रदोष काल   14 नवंबर 2020 को  17 .26 से 20 पॉइंट 8 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा प्रदोष काल में वृष लग्न स्वाति नक्षत्र एवं लाभ की चौघड़िया रहने से 19 घंटे 7 मिनट से पहले श्री गणेश लक्ष्मी पूजन आरंभ कर लेना चाहिए इसी काल में ब्राह्मणों ब्राह्मणों को भेंट मिठ

अहोई अष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का समय

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस वर्ष विक्रमी संवत सर 2077 शाक्  1942 कार्तिक मास दिन रविवार 8  नवंबर 2020 को अहोई अष्टमी माता जी का वर्क किया जाना शास्त्र अनुसार उचित रहेगा इस वर्ष रविवार को 8:45 तक रविपुष्य योग होने से इस व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है इस शुभ योग में उपवास करने वाली महिलाओं पर अहोई अष्टमी माता विशेष कृपा दृष्टि प्रदान करके उनके मनोरथ पूर्ण करती  है।  आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त…अहोई अष्टमी के दिन यानी 08.11.2020 को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 13:34 से 14:57 बजे तक है।अपने बच्चों सहित अहोई माता जी का पूजन करना शुभ माना गया है इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद शाम के समय में तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन क

किस दिन मनाएं विजयदशमी और शस्त्र पूजन का क्या है शुभ मुहूर्त

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किस दिन मनाएं विजयदशमी और शस्त्र पूजन का क्या है शुभ मुहूर्त  ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी  ने बताया कि  बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व है विजयदशमी भारत वासियों में या यूं कहें कि समस्त  धरती पर  इस पर्व को लेकर लोगों में बड़ा हर्ष और उल्लास रहता है इस वर्ष 2020 विक्रम संवत 2077को आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि एवं नवरात्र की नवमी तिथि को लेकर आम जनता में भ्रम एवं असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई पड़ी है जनता जानना चाहती है कि आखिरकार विजय दशमी किस दिन मनाई जाए उस विषय को लेकर हम आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है कि इस वर्ष रविवार 25 अक्टूबर 2020 को नवमी तिथि 7:41 तक रहेगी और उसके उपरांत दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी 26 अक्टूबर 2020 को दशमी तिथि केवल 8:59 तक ही रहेगी परंतु हमारे यहां पर यह परंपरा है कि रावण दहन संध्याकाल में दशमी तिथि के समय या श्रवण नक्षत्र के उपलक्ष में किया जाता है सोमवार को नाही साईं काल को दशमी तिथि है और ना ही श्रवण नक्षत्र है इसलिए रविवार के दिन सायंकाल को दशमी तिथि पर रावण दहन करना शुभ रहेगा प्रातः काल 25 अक्टूबर 2020 दि

जाने किस दिन करें इस नवरात्रि दुर्गा अष्टमी पूजन

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ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी ने बताया कि शास्त्र शास्त्र अनुसार  इस नवरात्रि किस दिन करें कन्या पूजन एवं मां दुर्गा अष्टमी पूजन इस वर्ष नवरात्रों में सभी भक्तों ने बड़े हर्ष उल्लास के साथ मां भगवती दुर्गा का पूजन आरंभ किया है और सभी भक्तों ने अपनी श्रद्धा भावना के अनुसार माता की ज्योति घर में प्रज्वलित की है इस उपलक्ष में भक्तजनों के द्वारा मां भगवती दुर्गा के निमित्त उपवास रखे जाते हैं और इन उपवास को संपूर्ण करने के लिए कुछ भक्त अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं और कुछ भक्त नवमी तिथि को कन्या पूजन करके अपने व्रत उपवास को पूर्ण करते हैं परंतु इस वर्ष तिथियों के कम अधिक होने के कारण भक्तजन असमंजस में पड़े हैं कि दुर्गा अष्टमी किस दिन  मनानी चाहिए  आइए बताते हैं आपको कि श्री दुर्गा अष्टमी पूजन एवं कन्या पूजन किस दिन करें इस वर्ष मां भगवती दुर्गा अष्टमी का पूजन इस वर्ष 24 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार को अष्टमी तिथि का पूजन करना शास्त्र अनुसार सही रहेगा इसका कारण यह है कि शास्त्रों में जो तिथि सूर्योदय के समय सूर्य नारायण भगवान के सामने प्रस्तुत होती ह

29 सितंबर को शनि देव होंगे मार्गी इन राशियों का खुलेगा भाग्य

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ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी ने बताया कि    ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है अगर शनि जातक की कुंडली में अच्छे स्थान पर बैठा हो तो वह उसे धन-संपत्ति नौकर चाकर देखकर राजा बना देता है अगर कहीं  यह शनि दुर्भाग्यवश किसी की कुंडली में नीच का या शत्रु राशि में जाकर बैठ जाए तो उस व्यक्ति को दर-दर का भिखारी दरिद्री बना देता ह इस महीने 29 सितंबर 2020 को शनि देव मकर राशि में सुबह 10:39 के करीब मार्गी होने जा रहे हैं इससे पहले शनिदेव 11 मई को मकर राशि में वक्री हुए थे इस वर्ष 24 जनवरी को शनि देव ने मकर राशि में प्रवेश किया था जब से शनि देव वक्री अवस्था में गए हैं 11 मई 2020 से तब से विश्व के हालात काफी तनावपूर्ण संकट पूर्ण एवं अनेक प्रकार की बीमारियों के प्रभाव के कारण उथल-पुथल वाले रहे अब शनिदेव अपनी चाल को सीधी करते हुए विभिन्न प्रकार की उथल-पुथल की परिस्थितियों से कई राशियों को राहत देते हुए विश्व में राहत लेकर आएंगे जिससे समाज में फैली हुई महामारी का प्रभाव कम होगा और किसी दवा के आने से या उसके आने के संकेत मिलने से जन समाज को राहत मिलने की संभावना1 है  

विवाह के समय वर-वधू का गठबंधन करना क्यों आवश्यक है ?

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ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी  ने बताया हिंदू शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में  विवाह संस्कार का प्रतीक रूप गठबंधन है विवाह के समय या फिर लेते समय वर के कंधे पर सफेद दुपट्टा रखकर वधू की साड़ी के पल्लू के साथ बांध दिया जाता है यही गठबंधन है जिसका अर्थ यह है कि अब दोनों एक दूसरे से जीवन भर के लिए बंध गए हैं गठबंधन के समय वर के पल्ले में सिक्का हल्दी पुष्प दुर्वा और अक्षत रखकर  गांठ बांधी जाती है सिक्का   जिसका अर्थ यह है कि धन पर किसी एक का पूर्ण अधिकार नहीं होगा बल्कि खर्च करने में दोनों की सहमति आवश्यक है 5 पुष्प  पुष्प का अर्थ है कि वर वधू जीवन भर एक दूसरे को देखकर प्रसन्न रहें हल्दी   हल्दी आरोग्यता का प्रतीक है  हल्दी जीवन में आने वाली विधाओं का हरण करें जिस प्रकार चौक चौखट पर हल्दी का चक्कर बनाने से जीव जंतु कीड़े मकोड़े नहीं आते हैं उसी प्रकार वर वधु के गट जोड़े में हल्दी रखने मैं यह अभाव रहता है कि इनके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट ना आए और इनका जीवन सुख में रहें  दूर्वा दूर्वा का अर्थ यह जानना चाहिए कि नव दंपति जीवन भर कभी ना  मुरझाए जाएं बल्कि  दूर्वा की तरह

क्या आप जानते हैं ? शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है ? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य ?

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 शिव और शिवलिंग की पूजा अनादि काल से किसी ना किसी रूप से चली आ रही है समाज में कुछ आलोचक ऐसे हैं जो  लिंग शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है  क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप अकार विशेष से रहित है अर्थात निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ पैर  शरीर रहित रूप एवं रंग रहे थे ब्रह्मा की उपासना करते हैं वैसे ही शिवलिंग का स्वरूप है जब संसार में कुछ नहीं था  सर्वस्व शून्य या अंधकार का जिसे वेद एवं पुराणों की भाषा में अंड कहा जाता है वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है इससे सिद्ध होता है कि शिव और शिव लिंग अनादिकाल से है यह सुनने किसी  अंक के दाहिने और  होने पर उस अंक के महत्व को 10 गुना बढ़ा देता है उसी प्रकार शिव भी दाहिनी होकर अर्थात अनुकूल होकर मनुष्य को सुख एवं समृद्धि और मान सम्मान प्रदान करते हैं 11 रूद्र में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश संख्यात्मक होने के कारणभी यह पर्व हिंदी के 11 में महीने में ही संपन्न होता है  धर्म एवं ज्योतिष से संबंधित रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारियां प्राप्त करन

विचित्रयोग इसवर्ष श्राद्धपक्ष शुक्लपक्ष से आरंभ होगा जाने आपके पूर्वजों के निमित्त किस दिन करें श्राद्ध

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ज्योतिर्विद्  पंडित   कपिल    जोशी   ने बताया कि इस  वर्ष विक्रमी संवतसर 2077 को श्राद्ध पक्ष अश्विनी शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि से आरंभ हो रहे हैं यानी 1 सितंबर दिन मंगलवार तिथि चतुर्दशी जो 9:39 तक रहेगी उसके उपरांत आप लोग पूर्णमासी का  श्राद्ध कर सकते हैं  ज्योतिर्विद्  पंडित   कपिल   जोशी ने बताया कि शास्त्र अनुसा  इस वर्ष पूर्णिमा का श्राद्ध एक पावन श्राद्ध है इसे पूर्णिमा के दिन करने का शासन नियम है क्योंकि इस वर्ष  पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध   1 सितंबर 2020 ईस्वी को  अपराहन काल व्यापिनी है अतः  पूर्णिमा का श्राद्ध इस वर्ष इस दिन ही होगा यहां यह भी बताना चाहते हैं कि अगले दिन,,   प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध 2 सितंबर दिन बुधवार 2020 को यह पूर्णिमा तिथि अपराहन से काफी पहले ही  सुबह 10:51 समाप्त हो जाती है इसलिए इसी दिन प्रतिपदा का श्राद्ध  करना चाहिए 3 सितंबर 2020 को प्रतिपदा अप वाहन से पूर्व 12  घंटे 27 मिनट पर ही समाप्त हो जाती है इस दिन अप वाहन काल 13 घंटे 37 मिनट से 16 घंटे 8 मिनट तक रहेगा अतः इस दिन प्रतिपदा तिथि  इसे स्पर्श भी नहीं कर सकती दितीय का श्राद्ध   3 सितंबर 20

श्री सत्यनारायण व्रत की कथा एवं पूजा की विधि

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आज हम आपको बताने जा  रहे हैं कि श्री सत्यनारायण व्रत की कथा एवं व्रत करने से पहले पूजन की सामग्री क्या होनी चाहिए केले के खंबे आम के पत्ते तुलसी के पत्ते मौसम के अनुसार फल धूप रोली मौली कपूर दीपक श्रीफल पुष्प पुष्पमाला गुलाब के फूल पंच रतन पंच पल्लव चावल पंचामृत नवेद कलावा  यज्ञोपवीत पान के पत्ते  श्री सत्यनारायण व्रत के पूजा की विधि व्रत करने वाला पूर्णिमा एवं संक्रांति के दिन साईं काल के समय स्नान आदि से निर्मित होकर पूजा स्थान में आसन पर बैठकर श्री गणेश गौरी वरुण विष्णु आदि सभी देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं श्री सत्यनारायण स्वामी का पूजन एवं कथा श्रवण सदैव करूंगा पुष्पा हाथ में लेकर श्री सत्यनारायण भगवान जी का ध्यान करें यगोपवित पुष्प नवीन आदि से युक्त होकर भगवान की स्तुति करें हे भगवान मैंने श्रद्धा पूर्वक फल जल आदि सब सामग्री आपके चरणो में अर्पण की है इसे स्वीकार कीजिए आपदाओं से मेरी रक्षा कीजिए मेरा आपको बारंबार नमस्कार है इसके उपरांत श्री सत्यनारायण जी की कथा पढ़ें अथवा श्रवण करें   श्री सत्यनारायण जी की व्रत कथा प्रथम अध्याय एक समय नैमिषारण्य

पुरुपुरुषोत्तम मास में करें भगवान विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी होगी प्रसन्न आप पर

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  पुरुषोत्तममास  ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी  इस वर्ष पुरुषोत्तम मास अश्विनी शुक्ल पक्ष 18 सितंबर 2020 दिन शुक्रवार से  आरंभ होकर कृष्ण पक्ष 16 अक्टूबर दिन शुक्रवार 2020 तक रहेगा   पुरुषोत्तम मास का महत्व    इस मास की मलमास की दृष्टि से जैसे निंदा है पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से इस की बड़ी महिमा है  अधिमास   ने तपस्या कर भगवान श्री हरि विष्णु से उनका  पुरुषोत्तम नाम प्राप्त किया था भगवान  ने इसको अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा तथा मेरी सदस्यता को प्राप्त करके यह मास अन्य सब मांसो का अधिपति होगा यह जगत पूज्य पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाएगा और जगत का वंदनीय होगा और यह पूजा करने वाले सब लोगों के दरिद्रता का नाश करने वाला होगा जो भगवान विष्णु की  अर्थात मेरी पूजा करता है  उस पर भगवती श्री महालक्ष्मी  जी की  अनंत कृपा दृष्टि  सदैव रहती है इस मास नियम पूर्वक  रहकर भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा-अर्चना करने से अलौकिक अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद किसी प्रकार की अधोगति का भय नहीं रह

#सूर्यग्रहण पर 21 जून 2020 के दैनिक भास्कर प्रकाशित हुआ हमारा लेख जाने क्या करें अपनी राशि के लिए उपाय किन मंत्रों का करें जाप

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21 जून को घटित होगा साल का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण जाने! आपकी राशि पर प्रभाव

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इस वर्ष का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण घटित होने जा रहा है  ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी ने  बताया कि शास्त्रानुसार इस वर्ष विक्रमी संवत 2077 शाके 1942 आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि निरीक्षण एवं आद्रा नक्षत्र गंड और वृद्धि योग में रविवार के दिन मिथुन राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने जा रहा है यह चूड़ामणि सूर्य ग्रहण यानी कि 21 जून 2020 को भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण दक्षिणी पूर्वी यूरोप ऑस्ट्रेलिया के केवल उत्तरी क्षेत्रों न्यू ज्ञाना फिजी अधिकतर अफ़्रीका प्रशांत एवं हिंद महासागर मध्य पूर्वी एशिया अफगानिस्तान पाकिस्तान मध्य दक्षिणी चीन वर्मा एसपी आदि देशों में दिखाई देगा धरती लोक पर कंकण चूड़ामणि सूर्य ग्रहण का समय इस प्रकार रहेगा   ग्रहण आरंभ 9 घंटे 15 मिनट 58 आरंभ  10 घंटे 17 मिनट 45 सेकंड  परम ग्रास मध्य 12 घंटे 10 मिनट 4 सेकंड  कंकण समाप्त 14 घंटे 2 मिनट सारा सेकंड  ग्रहण समाप्त 15 घंटे 4 मिनट 1 सेकंड ग्रहण की कुल समय अवधि  5 घंटे 48 मिनट 3 सेकंड रहेगी Note हम से संपर्क करने एवं ज्योतिष से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से हमको फेसबुक पर फॉलो कर

जानिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का रात को 9:00 बजे 9 मिनट दीपक जलाने का क्या है ? ज्योतिष विज्ञान से संबंध

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  ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी आप सभी पाठकों को नमस्कार जैसा कि आप सभी जानते ही हैं की ज्योतिष  एक विज्ञान है और इसी विज्ञान के ज्ञान के माध्यम से हम समय-समय पर देश में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में विभिन्न समाचार पत्रों सोशल मीडिया एवं न्यूज़ चैनल के माध्यम से देश की जनता एवं सरकार को सूचित करते रहते हैं जिससे भविष्य में घटित होने वाली हिंसक एवं विस्फोटक घटनाओं पर काबू पाया जा सके जिससे जनता के जान एवं माल की सुरक्षा की जा सके इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम ज्योतिष पर एक रोचक तथ्य लेकर प्रस्तुत हुए हैं आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सुबह 9:00 बजे वीडियो संदेश के माध्यम से बताया गया कि 5 अप्रैल 2030 को दिन रविवार रात्रि 9:00 बज के सभी देशवासी अपने घर की बत्तियां बुझा कर 9 मिनट के लिए दीपक दान करेंगे मोमबत्ती जला सकते हैं तो इसका वैज्ञानिक एवं ज्योतिष संबंध क्या है मेरे मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि मोदी जी 4 अप्रैल 4:00 बजे 4 मिनट शाम को ऐसा बोलना ज्यादा अच्छा समझते हैं क्योंकि उन्हें सभी कड़ियां जोड़ने में ज्यादा आनंद आता है परंतु उन्होंने इस विषय को ना ले

13 फरवरी को बन रहा है बुधादित्य राजयोग जाने। किस राशि का होगा भाग्य उदय?

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ज्योतिर्विद्  पंडित कपिल जोशी के अनुसार ज्योतिष एक विज्ञान।है। और इसी विज्ञान के ज्ञान के माध्यम से। हम समय-समय पर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करके अपना वर्तमान सुरक्षित कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों से हम भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में अपने लेखों के द्वारा आप लोगों को समाचार पत्रों के माध्यम से सूचित करते आ रहे हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं सूर्यदेव के राशि परिवर्तन के विषय में सूर्य देव 13 फरवरी 2020 को।अपनी राशि परिवर्तन करते हुए कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। कुंभ राशि में सूर्य देव  3:17  शाम पर आएंगे और सूर्यदेव के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही बुधादित्य राजयोग बनाएंगे।   ज्योतिर्विद्  पंडित कपिल जोशी के अनुसार। सूर्य देव कुंभ राशि में। बुद्ध के साथ बुधादित्य योग बनाते हैं। विशेषकर 8 राशियों के लिए सहज योग शुभ फलदायक रहेंगे। सूर्य देव का कुंभ राशि में प्रवेश कई राशि वालों के लिए शादी के शुभ संकेत देने  वाला धन संपत्ति विद्या बुद्धि एवं पुत्र प्रदान करने वाला एवं विदेश यात्रा। में रुचि रखने वालों के लिए अच्छे निर्