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Showing posts from 2018

भागवत में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच,..

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भागवत में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच   1.ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया । कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥   *कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.*   2.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः । धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥   *कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा !*      3.  दाम्पत्येऽभिरुचि  र्हेतुः मायैव  व्यावहारिके । स्त्रीत्वे  पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥  *कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे.* *व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.*   4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् । अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥    *घूस देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान मान

भैया दूज की कथा

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भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं - एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, 'भाई दूज' का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए। यदि बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन चाहिए कि बहनें भाइयों को चावल खिलाएं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष म

आज है दीपावली जाने पूजा का शुभ महूर्त

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दिन पड़ रही  दीपावली, जानें कब है पूजा का शुभ मुहूर् धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन यानि दिवाली इस बार 7 नवंबर 2018 को पड़ रही है। यदि जानना चाहते हैं कि दीपावली या लक्ष्मी पूजा कब है तो यहां पढ़े इस वर्ष दीपों का पर्व दीपावली (Deepawali) दिनांक 07 नवंबर 2018 दिन बुधवार को है। दीपावली का पूजन प्रदोष काल और स्थिर लग्न में होता है। वृष और सिंह स्थिर लग्न है। सिंह लग्न के समय अमावस्या का अभाव है। इस दिन स्वाति नछत्र सूर्योदय काल से लेकर 19.37 तक रहेगा तत्पश्चात विशाखा लग जायेगा। प्रदोष काल का समय गृहस्थ एवं व्यापारियों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। प्रदोष काल का मतलब होता है दिन और रात्रि का संयोग काल। दिन भगवान विष्णु का प्रतीक है और रात्रि माता लक्ष्मी का प्रतीक है। धर्म सिंधु के अनुसार प्रदोष काल अमावस्या निहित दीपावली पूजन को सबसे शुभ मुहूर्त है। सुजीत जी महाराज से जानें दिवाली का शुभ मुहूर्त... 1. प्रदोष काल का समय- सायं 17.27 से 20.05 तक। इस मुहूर्त में एक सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें स्थिर लग्न वृषभ भी मिल जाएगा। वृष और प्रदोष दोनों मिल जाने से ये दीपावली पूजन का सर्

धनतेरस पर पूजा और खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त

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इस वर्ष विकर्मी संवत्सर 2075 शाके 1940 कार्तिक मास कृष्णपक्ष त्रोयदषी तिथिं दिन सोमवार हस्त नक्षत्र 05 अक्टूबर 2018 को धनतेरस का शुभ पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ज्योतर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की शास्त्रों के अनुसार यह मत है की धनतेरस के दिन धनवन्त्री जी की पूजा करनी चाहिए यह दिन दीपावली से दो दिन पहले आता है धन तेरस के दिन नए वर्त्तन . सोना चांदी का सामान खरीदना शुभ माना जाता है इससे कुबेर देव प्रसन्न होकर भक्तों के भण्डारे धन धान्य से भरपूर रखते है साय काल के समय आप सभी अपने घर की देहली पर पूजन चावल तिलक .लौंग .इलाची .सुपारि रखकर दीपक जगए ऊसके उपरांत कुछ मिठाई बच्चो को प्रसाद के रूप मै बाँट दे धनतेरस, क्या है पूजा और खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त ज्योतर्विद पंडित कपिल   के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी जीवन में ढेर सारी सफलता और समृद्ध‍ि लेक‍र आती है। जानें, धनतेरस में पूजा करने और खरीदारी का शुभ मुहूर्त।  भारत में इस साल दिवाली का पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा लेकिन ठीक उससे दो दिन पूर्व यानि 5 नवंबर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। मान्‍यता है

अहोईअष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का शुभ महूर्त

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की  इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस साल 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी है। आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त… अहोई अष्टमी के दिन यानी 31 अक्टूबर को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 14:55 से 17:39 बजे तक है। इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन करें। अहोई माता की पूजा करने के लिए गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें, चंदन की धूप करें। देवी पर रोली, हल्दी व केसर चढ़ाएं। चावल की खीर का भोग लगाएं। पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दान देने से सुफल मिलता है। वहीं, जीवन से विपदाएं दूर करने के लिए महादेवी पर पीले कनेर के फूल चढ़ाएं। यथा संभव गरीबों को दान दें या भोजन कराएं। अहोई अष्टमी व्रत कथा प्राचीन काल में एक साहूकार के

अहोईअष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का शुभ महूर्त

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस साल 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी है। आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त… अहोई अष्टमी के दिन यानी 31 अक्टूबर को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 14:55 से 17:39 बजे तक है। इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन करें। अहोई माता की पूजा करने के लिए गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें, चंदन की धूप करें। देवी पर रोली, हल्दी व केसर चढ़ाएं। चावल की खीर का भोग लगाएं। पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दान देने से सुफल मिलता है। वहीं, जीवन से विपदाएं दूर करने के लिए महादेवी पर पीले कनेर के फूल चढ़ाएं। यथा संभव गरीबों को दान दें या भोजन कराएं। अहोई अष्टमी व्रत कथा प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं और एक बेटी थी। बेटी

करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त एवं कथा

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ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी ने बताया की शास्त्रानुसार इस वर्ष विक्रमी संवत 2078 शाक्य 1943 कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दिन रविवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि के चंद्रमा में करवा चौथ का व्रत   24 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा  इस दिन पतिव्रता स्त्रियां   अपने पति के मंगल हेतु एवं उनकी आयु वृद्धि की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं वे निराहार रहकर प्रातः श्री गणेश गौरी पूजन करती हैं तथा संध्या काल में शिव पार्वती पूजन, करवा चौथ की कथा श्रवण एवं रात्रि काल में चंद्रमा को अर्ध  प्रदान करने के उपरांत अपने पति के दर्शन  के पश्चात ही भोजन  करती हैं  इस वर्ष चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले  दिन   25 अक्टूबर  को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी.  इस  दिन  चांद निकलने का  समय  8 बजकर 30 मिनट पर है .   कथा   पूजन  के लिए शुभ मुहूर्त  24 अक्टूबर 2021  को दोपहर 13,36 से 15,02 तक का समय करवा पूजन एवं कहानी सुनने के लिए शुभ रहेगा यदि आप इसी कारण वर्ष इस समय पूजा कथा करने में असमर्थ हैं तो आप सुबह 7:54 से लेकर दोपहर 12:11 के समय में भी कथा श्रवण पूजन करव

इस साल श्रीगणपति ज़ी की कैसे करे पूजा

भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को शिवा कहते हैं. इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर स्नान दान व्रत जप आदि सत्कर्म करना चाहिए, जो व्यक्ति ऐसा करता है उसको गणपति जी का सौ गुना अभीष्ट फल प्राप्त होता है ऐसा भविष्य पुराण में दिया गया है. इस दिन गणेश जी के साथ शिव जी और पार्वती जी का भी पूजन करना चाहिए. भारत में कुछ त्यौहार धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र विशेष की संस्कृति के परिचायक भी हैं. इन त्यौहारों में किसी न किसी रूप में प्रत्येक धर्म के लोग शामिल रहते हैं. जिस तरह पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित हो चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी का उत्सव भी पूरे देश में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का इसी दिन जन्म हुआ था. भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को सोमवार के दिन मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था. इसलिए मध्या

कर्नाटका मे बीजेपी की सरकार बनते ही सत्य साबित हुई पंडित कपिल जोशी की भविष्यबाणी

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[17/05, 10:46] Kapil Joshi: आज 17 मई 2018 को येदुरप्पा जी के कर्नाटका के मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही बी जे पी की सरकार बनते ही हमारे पिछले लेख मे छपी भविष्वाणी सत्य सबित हुई जिसमे पुरषोतम मास 16 मई से आरम्भ क्या करे उपाय पंडित कपिल जोशी शिर्षक के अधीन यह वताया गया था की पुरर्षोतम मास के ज्येष्ठ मास मे आने से कर्नाटका मे सत्ता परिवर्त्तन के योग बन रहे है कर्नाटका मे बी जे पी के सरकार बनाने के योग है अधिक विस्तार से हमारी भविष्यबाणिया पढ़ने के लिए आप हमारे ब्लॉग को पढ़ सकते है

पुरषोतममास 16 मई से आरम्भ क्या करे उपाए ! पंडित कपिल जोशी

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ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने बताया कि शास्त्रानुसार इस वर्ष विक्रमी सम्वत २०७५ ज्येष्ठ शुकल पक्ष प्रतिपदा तिथि 16 मई दिन बुधवार को पुरषोतम मास आरम्भ हो रहा है l जो 13 जून 2018 दिन बुधवार को समाप्त हो जायेगा l शास्त्रनुसार पुरषोतममास मे विवाह मुण्डन नवबधू ग्रहप्रवेश आदि कार्य करने वर्जित माने गए है l  पुरषोतममास के ज्यैष्ठ मास मे घटित होने से अनाज कि पैदावार अधिक हो  l दो राष्ट्रों के बिच मे टकराव कि स्थिति उत्पन्न हो l कर्नाटका मे सत्ता परिवर्तन के  योग बन रहे है l कर्नाटक मै बीजेपी के सरकार बनाने के योग हैं l किसी राज्य मे सत्ता परिवर्तन एवं किसी वरिष्ठ राजनेता कि अचानक मृत्यु के योग इस समय बनते है l पुरुषोत्तम मास में क्या करें पुरुषोत्तम मास को मलमास या अधिक मास भी कहा जाता है। जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मलमास कहलाता है। इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित रहता है। परंतु इस दौरान किए गए धर्म-कर्म से जुड़े सभी कार्य विशेष फलदायी रहते हैं। मलमास में केवल ईश्वर के लिए व्रत, दान, हवन, पूजा, ध्यान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पु

18 अप्रैल 2018 दिन बुधवार से शनि हुआ वक्री इन राशि वालों को होगी परेशानी

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18 बुधवार से शनि हुआ वक्री इनअप्रैल 2018 दिन राशि वालों को होगी परेशानी ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया कि ज्योतिष में शनि को पाप ग्रह कहा गया है. शनि संतुलन और न्याय का भी ग्रह है. शनि देव गलत और बेईमान लोगों को पीड़ित करते हैं तो ईमानदार, परिश्रमी लोगों को पुरस्कृत करते हैं. ज्योतिष के जानकारों का ये मानना है कि शनि की नजर बेहद महत्वपूर्ण है. समस्त ग्रहों में सबसे ज्यादा ताकतवर दृष्टि शनि की होती है. शनि की दृष्टि अलग-अलग ग्रहों पर पड़कर अलग-अलग दुष्परिणाम पैदा करती है.शनि देव 18 अप्रैल 2018 बुधवार को सुबह 7:10 बजे धनु राशि में वक्री हो चुके हैं और 06 सितंबर 2018 गुरुवार को शाम 05:02 बजे पुनः इसी राशि में ही मार्गी होंगे. इस दौरान शनि वक्री की अवधि कुल 142 दिनों की होगी. मेष- शनि का भाग्य स्थान में वक्री होना मेष राशि के लिए शुभ फलदायी नहीं है. शनि के वक्री होने से मेष राशि के लोगों को नौकरी और व्यवसाय में सफलता अर्जित करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे. भाग्य का साथ आपको कम ही मिलेगा. आर्थिक स्थिति की बात करें तो यह समय अच्छा नहीं कहा जा सकता है. नुकसान उठाना पड़ सकता है. शत्

18 अप्रैल 2018 दिन बुधवार से शनि हुआ वक्री इन राशि वालों को होगी परेशानी

18 अप्रैल 2018 दिन बु धवार से शनि हुआ वक्री इन राशि वालों को होगी परेशानी ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया कि ज्योतिष में शनि को पाप ग्रह कहा गया है. शनि संतुलन और न्याय का भी ग्रह है. शनि देव गलत और बेईमान लोगों को पीड़ित करते हैं तो ईमानदार, परिश्रमी लोगों को पुरस्कृत करते हैं. ज्योतिष के जानकारों का ये मानना है कि शनि की नजर बेहद महत्वपूर्ण है. समस्त ग्रहों में सबसे ज्यादा ताकतवर दृष्टि शनि की होती है. शनि की दृष्टि अलग-अलग ग्रहों पर पड़कर अलग-अलग दुष्परिणाम पैदा करती है.शनि देव 18 अप्रैल 2018 बुधवार को सुबह 7:10 बजे धनु राशि में वक्री हो चुके हैं और 06 सितंबर 2018 गुरुवार को शाम 05:02 बजे पुनः इसी राशि में ही मार्गी होंगे. इस दौरान शनि वक्री की अवधि कुल 142 दिनों की होगी. मेष- शनि का भाग्य स्थान में वक्री होना मेष राशि के लिए शुभ फलदायी नहीं है. शनि के वक्री होने से मेष राशि के लोगों को नौकरी और व्यवसाय में सफलता अर्जित करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे. भाग्य का साथ आपको कम ही मिलेगा. आर्थिक स्थिति की बात करें तो यह समय अच्छा नहीं कहा जा सकता है. नुकसान उठाना पड़ सकता है. शत

श्री दुर्गाअष्टमी एवं कन्यापूजन रविवार 25 मार्च 2018 नो करना शुभ रहेगा इस दिन अश्टमी एवं नवमी दोनों ही कन्यापूजन के लिए शुभ फलदायक है जाने इस नवरात्रो मे दुर्गापूजन का शुभ समय

https://youtu.be/UxX8iU9B58w

आज गुरू देव होंगे वक्री जाने? किस राशि पर करेंगे धनवर्षा किसकी होगी शादी

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चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दिन शुकरवार 9 मार्च 2018 को सुबह 10 बजकर 17 मिनट से गुरू देव तुला राशि मे वक्री हो रहें है ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी वताते है की गुरू देव 10 जुलाई 2018 की रात्रिर 22.32 मिनट तक वक्री अवस्था मे रहेंगे गुरू देव का यह वक्री काल चार महिने एक तक रहेगा इस समय मिथुन मेष धनु राशिवालों के लिए यह समय विशेशफलदायक रहेगा । जानिए आपकी राशि में क्या होगा इसका असर। मेष राशि गुरु का पूर्ण सप्तम द्ष्टि में है। आप खुद को काफी ऊर्जावान महसूस करेंगे। आप अपनी सारी ऊर्जा नए प्रोजेक्ट में लगाएंगे, आगे चलकर इसका फायदा होगा। कारोबार में बदलाव की संभावनाएं हैं। विदेश में नौकरी के लिए दिन अनुकूल  है। प्रॉपर्टी का काम करने वालों के लिए आज का दिन फायदेमंद साबित होगा। गायत्री मंत्र का जाप करें, सफलता मिलेगी। वृष राशि इस राशि में गुरु षष्टम दृष्टि में है। ऑफिस का काम रोज की तुलना में ज्यादा अच्छे से होगा। घर में सुख सुविधा का नया सामान ख़रीदने का भी योग बन रहा है। अविवाहितों के लिए विवाह का प्रस्ताव आ सकता है। किसी जानकार से बात करने के बाद ही कोई नया काम हाथ में लें। साथ काम करने