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Showing posts from November, 2020

800 वर्षों बाद गुरुशनि की युति ला रही है विश्व में मंदी के संकेत

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800 वर्ष बाद होगी शनि-गुरु की भेद युति, ऐसा प्रभाव शनि और गुरु की युति लगभग 20 वर्ष के बाद ही होती है तो इनके बिंबो का अति निकट आना एक विलक्षण घटना है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की बृहत् संहिता के अनुसार भेद युति के कारण बड़े मौसमी परिवर्तन होते हैं तथा बड़े घरानों और दलों में फूट पड़ती है। शनि-गुरु की इस भेद युति के कारण अगले एक वर्ष में में बड़े औद्योगिक घरानों और बड़े राजनीतिक दलों में फूट पड़ सकती है। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े और जनवरी में सर्दी पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ेगी। मकर राशि में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति इस राशि से प्रभावित क्षेत्र जैसे उत्तर-पश्चिमी भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में सर्दी के कोप से आम-जनता को बेहद कष्ट देने वाली होगी। इसके साथ-साथ इन देशों में राजनीतिक उठा-पटक और जनांदोलनों की संभावना भी अगले एक वर्ष तक रहेगी। मिथुन राशि से प्रभावित अमेरिका के अष्टम भाव में बन रही शनि-गुरु की भेद-युति वहां की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख देगी जिससे यूरोप के देश भी मंदी की चपेट में आएंगे। वैश्विक मंदी का प्रभाव अगले पांच महीनों तक भारत पर भी गंभीर र

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त

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  ज्योतिर्विद् पंडित   कपिल जोशी   ने बताया कि  दीपावली पूजन  का शुभ मुहूर्त  इस वर्ष दीपावली पूजन विक्रमी संवत सर 2077 शाक्य 1942 तिथि चतुर्दशी दिन शनिवार स्वाति नक्षत्र आयुष्मान एवं सौभाग्य योग 14 नवंबर 2020 दिन शनिवार को मनाई जाएगी  शास्त्रानुसार 14 नवंबर को  नरक चतुर्दशी एवं दीपावली दोनों एक ही दिन मनाए जाएंगे शनिवार के दिन दोपहर 2:18 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी उसके उपरांत अमावस्या तिथि आरंभ हो जाएगी इसलिए इस दिन दीपावली 1पूजन प्रदोष काल में करना शास्त्र अनुसार उचित माना गया है    ध्यान देने योग्य बात जिन परिवारों में पितरों के निमित्त दीपावली वाले दिन या दीपावली की अमावस्या को पितरों के निमित्त पूजा की जाती है या मिट्टी निकाली जाती है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है उनका यह कर्म 15 नवंबर 2020 दिन रविवार को किया जाएगा  प्रदोष काल   14 नवंबर 2020 को  17 .26 से 20 पॉइंट 8 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा प्रदोष काल में वृष लग्न स्वाति नक्षत्र एवं लाभ की चौघड़िया रहने से 19 घंटे 7 मिनट से पहले श्री गणेश लक्ष्मी पूजन आरंभ कर लेना चाहिए इसी काल में ब्राह्मणों ब्राह्मणों को भेंट मिठ

अहोई अष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का समय

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस वर्ष विक्रमी संवत सर 2077 शाक्  1942 कार्तिक मास दिन रविवार 8  नवंबर 2020 को अहोई अष्टमी माता जी का वर्क किया जाना शास्त्र अनुसार उचित रहेगा इस वर्ष रविवार को 8:45 तक रविपुष्य योग होने से इस व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है इस शुभ योग में उपवास करने वाली महिलाओं पर अहोई अष्टमी माता विशेष कृपा दृष्टि प्रदान करके उनके मनोरथ पूर्ण करती  है।  आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त…अहोई अष्टमी के दिन यानी 08.11.2020 को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 13:34 से 14:57 बजे तक है।अपने बच्चों सहित अहोई माता जी का पूजन करना शुभ माना गया है इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद शाम के समय में तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन क