पुरुपुरुषोत्तम मास में करें भगवान विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी होगी प्रसन्न आप पर

 पुरुषोत्तममास ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी इस वर्ष पुरुषोत्तम मास अश्विनी शुक्ल पक्ष 18 सितंबर 2020 दिन शुक्रवार से  आरंभ होकर कृष्ण पक्ष 16 अक्टूबर दिन शुक्रवार 2020 तक रहेगा
 पुरुषोत्तम मास का महत्व 
 इस मास की मलमास की दृष्टि से जैसे निंदा है पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से इस की बड़ी महिमा है  अधिमास   ने तपस्या कर भगवान श्री हरि विष्णु से उनका  पुरुषोत्तम नाम प्राप्त किया था भगवान  ने इसको अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और इसके नाम से सारा जगत पवित्र होगा तथा मेरी सदस्यता को प्राप्त करके यह मास अन्य सब मांसो का अधिपति होगा यह जगत पूज्य पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाएगा और जगत का वंदनीय होगा और यह पूजा करने वाले सब लोगों के दरिद्रता का नाश करने वाला होगा जो भगवान विष्णु की  अर्थात मेरी पूजा करता है  उस पर भगवती श्री महालक्ष्मी  जी की  अनंत कृपा दृष्टि  सदैव रहती है इस मास नियम पूर्वक  रहकर भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा-अर्चना करने से अलौकिक अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद किसी प्रकार की अधोगति का भय नहीं रहता शिव पुराण में भी इसका वर्णन हुआ है  यहां पुरुषोत्तम मास को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप कहा गया है वहां देवताओं के वचन हैं अर्थात प्रभु शिव आप महीनों में आदि मांस एवं व्रतों में चतुर्दशी व्रत है इस प्रकार इसमें शिव विष्णु दोनों की ही आराधना   सम्मिलित है और यह दोनों को ही परम प्रिय है जो अनेक वर्ष तप करने का फल है इस महीने में व्रत तप करने से प्राप्त हो जाता है अधिक मास के आने पर जो व्यक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक व्रत उपवास  श्री हरि  विष्णु पुरुषोत्तम मांस का पाठ दान आदि शुभ  कार्य करता है  उसे मनोवांछित फल  की प्राप्ति होती है ऐसा धर्म ग्रंथों का  मत है अतः अंत में गोलोक पहुंचकर भगवान श्री कृष्ण का  सानिध्य प्राप्त करता  है 
अश्वनी अधिक मास का फल विक्रमी संवत 2077 में प्रथम अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 18 सितंबर शुक्रवार से अश्विन अधिक मास प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर शुक्रवार तक  व्याप्त  रहेगा अश्विनी शुक्ल पक्ष और द्वितीय अश्वनी कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों के अंतराल में संक्रांति का अभाव होने से अश्विन मास अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास माना जाएगा शास्त्रों में अश्विन अधिक मास का फल इस प्रकार से विवरण तय है अर्थात जिस वर्ष दो अश्विन मास आए तो उस वर्ष जनता  चोरों तथा विभिन्न रोगों से दुखी रहे परंतु उत्तरी भारत में सुभिक्षा जनता के कल्याण हेतु शासन अंतरण प्रयासरत रहे तथा लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा आरोग्य भी रहेगा दक्षिणी क्षेत्रों में दुर्भिक्ष अर्थात अकाल जैसी  परिस्थितियां रहेगी
 पुरुषोत्तम मास में   नित्यकर्म नियम
 पुरुषोत्तम मास में ईश्वर के निमित्त जो व्रत उपवास स्नान दान या पूजन आदि किए जाते हैं उन सबका अक्षय फल होता है और वर्ती के सब अनिष्ट नष्ट हो जाते हैं पुराणों में अधिक मास में पूजन व्रत दान संबंधी विभिन्न प्रकार के विधान बताए गए हैं इस मास के प्रारंभ होते ही प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व  उठ कर शौच स्नान आदि अपने अपने अधिकार के अनुसार नित्य कर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम का पालन  करना चाहिए पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करना महान पुण्य दायक है और तुलसी पत्र से शालिग्राम भगवान का पूजन करने से अनंत पुण्य  प्राप्त होता है विधि पूर्वक भगवान का पूजन करना उचित  है शास्त्र अनुसार पुरुषोत्तम मास आरंभ होने पर प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान विष्णु स्वरूप भास्कर का मंत्रों द्वारा लाल पुष्प सहित पूजन एवं कृष्ण स्तोत्र पाठ करके कांसे के पात्र में भरे हुए अनफर्ल वस्त्र आदि का दान किया जाता है पूजा उपरांत अथवा अधिक मास के अंतिम दिन विभिन्न प्रकार के मिष्ठान घी गुड़ और अन्न का दान ब्राह्मण को करें तथा गेहूं और गुड़ के बनाए हुए  33 पदार्थ एक पत्र में रखकर वस्त्र दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करें
 

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