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Showing posts from October, 2018

धनतेरस पर पूजा और खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त

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इस वर्ष विकर्मी संवत्सर 2075 शाके 1940 कार्तिक मास कृष्णपक्ष त्रोयदषी तिथिं दिन सोमवार हस्त नक्षत्र 05 अक्टूबर 2018 को धनतेरस का शुभ पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ज्योतर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की शास्त्रों के अनुसार यह मत है की धनतेरस के दिन धनवन्त्री जी की पूजा करनी चाहिए यह दिन दीपावली से दो दिन पहले आता है धन तेरस के दिन नए वर्त्तन . सोना चांदी का सामान खरीदना शुभ माना जाता है इससे कुबेर देव प्रसन्न होकर भक्तों के भण्डारे धन धान्य से भरपूर रखते है साय काल के समय आप सभी अपने घर की देहली पर पूजन चावल तिलक .लौंग .इलाची .सुपारि रखकर दीपक जगए ऊसके उपरांत कुछ मिठाई बच्चो को प्रसाद के रूप मै बाँट दे धनतेरस, क्या है पूजा और खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त ज्योतर्विद पंडित कपिल   के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में की गई खरीदारी जीवन में ढेर सारी सफलता और समृद्ध‍ि लेक‍र आती है। जानें, धनतेरस में पूजा करने और खरीदारी का शुभ मुहूर्त।  भारत में इस साल दिवाली का पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा लेकिन ठीक उससे दो दिन पूर्व यानि 5 नवंबर धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। मान्‍यता है

अहोईअष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का शुभ महूर्त

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिर्विद पंडित कपिल जोशी ने वताया की  इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस साल 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी है। आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त… अहोई अष्टमी के दिन यानी 31 अक्टूबर को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 14:55 से 17:39 बजे तक है। इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन करें। अहोई माता की पूजा करने के लिए गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें, चंदन की धूप करें। देवी पर रोली, हल्दी व केसर चढ़ाएं। चावल की खीर का भोग लगाएं। पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दान देने से सुफल मिलता है। वहीं, जीवन से विपदाएं दूर करने के लिए महादेवी पर पीले कनेर के फूल चढ़ाएं। यथा संभव गरीबों को दान दें या भोजन कराएं। अहोई अष्टमी व्रत कथा प्राचीन काल में एक साहूकार के

अहोईअष्टमी व्रत की कथा एवं पूजन का शुभ महूर्त

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा का विधान है। इसीलिए इस तिथि को अहोई अष्टमी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन भारतीय महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इस साल 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी है। आइए, जानते हैं क्या है इस दिन पूजा करने का सही तरीका और शुभ मुहूर्त… अहोई अष्टमी के दिन यानी 31 अक्टूबर को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 14:55 से 17:39 बजे तक है। इस समय व्रत की कथा सुनकर महिलाएं माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद तारे निकलने पर उन्हें जल का अर्घ्य प्रदान करें और फिर भोजन करके व्रत का समापन करें। अहोई माता की पूजा करने के लिए गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें, चंदन की धूप करें। देवी पर रोली, हल्दी व केसर चढ़ाएं। चावल की खीर का भोग लगाएं। पूजन के बाद भोग किसी गरीब कन्या को दान देने से सुफल मिलता है। वहीं, जीवन से विपदाएं दूर करने के लिए महादेवी पर पीले कनेर के फूल चढ़ाएं। यथा संभव गरीबों को दान दें या भोजन कराएं। अहोई अष्टमी व्रत कथा प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं और एक बेटी थी। बेटी

करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त एवं कथा

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ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी ने बताया की शास्त्रानुसार इस वर्ष विक्रमी संवत 2078 शाक्य 1943 कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दिन रविवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि के चंद्रमा में करवा चौथ का व्रत   24 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा  इस दिन पतिव्रता स्त्रियां   अपने पति के मंगल हेतु एवं उनकी आयु वृद्धि की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं वे निराहार रहकर प्रातः श्री गणेश गौरी पूजन करती हैं तथा संध्या काल में शिव पार्वती पूजन, करवा चौथ की कथा श्रवण एवं रात्रि काल में चंद्रमा को अर्ध  प्रदान करने के उपरांत अपने पति के दर्शन  के पश्चात ही भोजन  करती हैं  इस वर्ष चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले  दिन   25 अक्टूबर  को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी.  इस  दिन  चांद निकलने का  समय  8 बजकर 30 मिनट पर है .   कथा   पूजन  के लिए शुभ मुहूर्त  24 अक्टूबर 2021  को दोपहर 13,36 से 15,02 तक का समय करवा पूजन एवं कहानी सुनने के लिए शुभ रहेगा यदि आप इसी कारण वर्ष इस समय पूजा कथा करने में असमर्थ हैं तो आप सुबह 7:54 से लेकर दोपहर 12:11 के समय में भी कथा श्रवण पूजन करव