क्या आप जानते हैं ? शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है ? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य ?

 शिव और शिवलिंग की पूजा अनादि काल से किसी ना किसी रूप से चली आ रही है समाज में कुछ आलोचक ऐसे हैं जो  लिंग शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है  क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप अकार विशेष से रहित है अर्थात निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ पैर  शरीर रहित रूप एवं रंग रहे थे ब्रह्मा की उपासना करते हैं वैसे ही शिवलिंग का स्वरूप है जब संसार में कुछ नहीं था  सर्वस्व शून्य या अंधकार का जिसे वेद एवं पुराणों की भाषा में अंड कहा जाता है वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है इससे सिद्ध होता है कि शिव और शिव लिंग अनादिकाल से है यह सुनने किसी  अंक के दाहिने और  होने पर उस अंक के महत्व को 10 गुना बढ़ा देता है उसी प्रकार शिव भी दाहिनी होकर अर्थात अनुकूल होकर मनुष्य को सुख एवं समृद्धि और मान सम्मान प्रदान करते हैं 11 रूद्र में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश संख्यात्मक होने के कारणभी यह पर्व हिंदी के 11 में महीने में ही संपन्न होता है 
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 पंडित कपिल जोशी 
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