करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त एवं कथा

ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी ने बताया की शास्त्रानुसार इस वर्ष विक्रमी संवत 2078 शाक्य 1943 कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दिन रविवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ राशि के चंद्रमा में करवा चौथ का व्रत  24 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा 
इस दिन पतिव्रता स्त्रियां  अपने पति के मंगल हेतु एवं उनकी आयु वृद्धि की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं वे निराहार रहकर प्रातः श्री गणेश गौरी पूजन करती हैं तथा संध्या काल में शिव पार्वती पूजन, करवा चौथ की कथा श्रवण एवं रात्रि काल में चंद्रमा को अर्ध  प्रदान करने के उपरांत अपने पति के दर्शन  के पश्चात ही भोजन  करती हैं 
इस वर्ष चतुर्थी तिथि रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. 
इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 30 मिनट पर है.
 कथा पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को दोपहर 13,36 से 15,02 तक का समय करवा पूजन एवं कहानी सुनने के लिए शुभ रहेगा यदि आप इसी कारण वर्ष इस समय पूजा कथा करने में असमर्थ हैं तो आप सुबह 7:54 से लेकर दोपहर 12:11 के समय में भी कथा श्रवण पूजन करवा पूजन आदि कर सकते हैं 
संध्याकल 17,53 से लेकर 22,37 तक का समय भी करवा पूजन चंद्रमा को अर्ध देना पति के दर्शन करने एवं अन्य शुभ कृतियों के लिए योगकारक रहेगा 
करवा चौथ की कहानी -
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। प्यार इतना था कि वो पहले उसे खाना खिलाते और बाद में खुद खाते।  एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा 21 तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। ऐसे में सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं गई और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगता है कि जैसे चतुर्थी का चांद हो।  भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है। वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। इससे वह बौखला जाती है। तब उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है। सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है। एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है। सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है। अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले


Comments

Popular posts from this blog

जानिए ! पितृपक्ष में श्राद्ध किस दिन कौन सा श्राद्ध करें ?

जाने किस दिन करें इस नवरात्रि दुर्गा अष्टमी पूजन

What happened in KASHMIR