जाने ! दीपावली पर श्रीमहालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी ने बताया की ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को अर्धरात्रि के समय श्री महालक्ष्मी महारानी सद ग्रंथों के घर में जहां तहां विचरण करती हैं इसलिए अपने घर को सब प्रकार से स्वच्छ शुद्ध और सुंदर बना कर और दीपावली एवं दीप मालिका करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं तथा महालक्ष्मी रूप से निवास करती हैं यह अमावस्या प्रदोष काल एवं अर्ध रात्रि मैं हो तो विशेष रूप से शुभ होती है इस वर्ष में विक्रमी संवत सर 2078 कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर बृहस्पतिवार प्रातः सूर्य उदय से अर्धरात्रि बाद 26 घंटे 39 मिनट तक व्याप्त रहेगी इस वर्ष दीपावली स्वाति नक्षत्र आयुष्मान योग कालीन अपराहन साईं ग्रह प्रदोष नशीद म्हनशील व्यापिनी अमावस से युक्त होने से विशेषता प्रशस्त एवं पुण्य दायक रहेगी 
दीपावली एक प्रकार से पांच पर्वों का सम्मिलित त्योहार है जिसकी शुरुआत धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज तक रहती है दीपावली के पर्व पर धन की प्राप्ति के लिए धन की अष्टधातु की देवी महालक्ष्मी जी का आवाहन एवं षोडशोपचार पूजन किया जाता है पूजा की सामग्री में सुपारी रोली मोली अक्षत पुष्प निवेद धूप दीप मिठाई पान के पत्ते फल आदि का प्रयोग किया जाता है दूध दही घी शहद एवं गंगा जल से पंच उपकार स्नान कराना शुभ माना जाता है पूजा की सामग्री में श्री महालक्ष्मी जी को विशेषकर कमल दल अति प्रिय रहता है पूजा में आप नारियल कोड़ी एमपी चक्कर लोंग इलाइची इत्र सिंगार की सामग्री का विशेष रूप से प्रयोग कर सकते हो
प्रदोष काल
श्री महालक्ष्मी पूजन में प्रदोष काल का विशेष स्थान रहता है इस वर्ष दीपावली के दिन साए 17 :32 मिनट से लेकर 20:12 तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा  साय 6:11 मिनट से लेकर रात्रि 8:05 तक वृष लग्न विशेष तौर पर प्रशस्त होगा प्रदोष काल में वृष लग्न स्वाति नक्षत्र तुला का चंद्रमा तथा सूर्य अस्त के बाद पहले अमृत की फिर चर की चौघड़िया  में श्री गणेश लक्ष्मी पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए अमृत की चौकड़िया रहने से इस योग में ही दीपदान श्री महालक्ष्मी पूजन कुबेर गणेश बहीखाता पूजन धर्म एवं ग्रह स्थलों पर दीप दान करना चाहिए ब्राह्मणों तथा सगे संबंधियों को मिष्ठान आदि बांटना शुभ होगा
निशीथ काल
4 नवंबर 2021 ईस्वी को निशीथ काल रात्रि 20 घंटे 12 मिनट से 22 घंटे के 51 मिनट तक रहेगा निशीथ काल में 20 घंटे 52 मिनट तक चर की चौघड़िया मुहूर्त शुभ रहेगी परंतु उसके बाद रोग एवं काल की चौघड़िया पूजन परंतु शुभ नहीं है अतः 20 घंटे 52 मिनट से पहले मुख्य पूजन हो जाना चाहिए अन्यथा आरंभ हो तो भी जाना चाहिए तदोपरांत चाहे पूजन आदि अन्य कार्य करते रहें इस अवधि में श्री महालक्ष्मी पूजन समाप्त कर श्री सूक्त कनकधारा मंत्रो का पाठ करना चाहिए 
महानिशीथ काल
रात्रि 22:00 घंटे 51 मिनट से 25 घंटे तक 30 मिनट तक महानिशीथ काल  रहेगा इस समय अवधि में 24 घंटे 11 मिनट तक काल की चौघड़िया अशुभ परंतु इसके बाद 25 घंटे 51 मिनट तक लाभ की चौघड़िया अत्यंत शुभ रहेगी इस अवधि में माता काली काली उपासना तंत्र आदि की रहे विशेष काम में प्रयोग तंत्र अनुष्ठान साधनाएं एवं यज्ञ आदि किए जाते हैं  24 घंटे 42 मिनट से सिंह लग्न भी विशेष प्रशस्त रहेगा

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ज्योतिर्विद् पंडित कपिल जोशी
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